उत्खनन से प्राप्त साक्ष्यों से स्पष्ट होता है कि सैन्धव सभ्यता के लोग नगर निर्माण कला में पूर्णरूपेण कुशल थे। उनकी नगर-निर्माण योजना की निम्नलिखित अनूठी विशेषताएँ थीं -
(i) इनकी नगर योजना सुव्यवस्थित एवं वैज्ञानिक थी।
(ii) मोहनजोदड़ो नगर लगभग 1 मील में विस्तृत था। इसके चारों ओर सुरक्षा हेतु चहारदीवारी का निर्माण किया गया था। ऐसी व्यवस्था हड़प्पा में भी थी।
(ii) नगरों में सड़क की व्यवस्था उत्तम थी। सड़कें और गलियाँ सीधी बनायी गयी थीं। वे एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। मुख्य सड़क में गलियाँ आकर मिलती थीं।
(iv) सड़कों के दोनों ओर मकान बने होते थे।
(v) मोहनजोदड़ो शहर की एक अनूठी विशेषता उसकी सुनियोजिते जल निकास प्रणाली थी।
(vi) आधुनिक युग के समान हड़प्पा सभ्यता के लोग भी नालियों के निर्माण एवं प्रयोग से परिचित थे। प्रत्येक घर की नाली सड़क के किनारे बनी मुख्य नाली में मिल जाती थी। एक विशेष प्रकार की मिट्टी और चूने से बनी नालियाँ ईटों से ढंकी रहती थीं। यह व्यवस्था विश्व में अनुपम है।
(vi) नगर में स्वास्थ्य एवं सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता था।
(vii) मोहनजोदड़ो में सार्वजनिक प्रयोग के लिए विशाल सालगोदाम और एक विशाल स्नानागार प्राप्त हुआ है।
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