एक पुरानी कहावत है कि 'क्षुद्र चीजें भी मूल्यवान हो सकती हैं. जिन दिनों मसालों का व्यापार होता था, यह कहावत अवश्य ही सच थी. दालचीनी, लौंग और जायफल की खोज में यूरोप के व्यापारी दूर देशों तक जाया करते थे, क्योंकि यह चीजें उन देशों में उपलब्ध नहीं थीं और धनी लोग ही इनको खरीद पाते थे।
जब एन्टोनियो अपने नगर जैनोवा से मसाले खरीदने के लिए अपने जहाज़ पर निकला तो संयोग से उसे पता चला कि उसके पास भी एक ऐसी मल्यवान वस्त थी जो उन द्वीपों पर दुर्लभ थी. वहाँ का राजा चूहों की समस्या का समाधान खोज रहा था. घटनाचक्र से सिद्ध हआ कि जो चीज़ एक व्यक्ति के लिए मूल्यहीन होती है वही दूसरे के लिए मूल्यवान हो सकती है।
विश्व के इतिहास में मसालों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यद्यपि दालचीनी, लौंग और जायफल जैसे मसाले आजकल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, एक समय यह इतने दुर्लभ थे कि यूरोप के व्यापारी इनकी खोज में दूर देशों की यात्रा करते थे। अफ्रीका के दक्षिण से होते हए वह भारत और उन द्वीपों की ओर जाते थे जिन्हें मसालों का टापू कहा जाता था। कुछ मसाले इतने महंगे थे कि सिर्फ धनी लोग या राजपरिवार ही उनका उपयोग कर पाते थे। वास्तव में जिन देशों या साम्राज्यों का मसालों के व्यापार में दबदबा था वह सब सैकड़ों वर्षों तक शक्तिशाली और धनी राज्य थे. इटली के जैनोवा और वेनिस नगरों की मसालों के व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका थी इसलिए वह बहुत प्रबल नगर बन गये थे। कोलंबस जब समुद्री यात्रा पर निकला तो वह भारत और अन्य मसालों के देश जाने के लिए एक छोटा मार्ग खोजना चाहता था। लेकिन गलती से वह उत्तरी अमरीका पहँच गयाइस तरह मसालों की खोज ने अनजाने में ही इतिहास में प्रमुख भूमिका निभाई। लोक-कथाओं में ऐसे देशों की कई कहानियाँ हैं जहाँ चूहों ने उत्पात मचा रखा था और जहाँ के लोग बिल्लियों के विषय में कुछ न जानते थे। ऐसी ही यह कहानी इटली की लोक-कथा है।
बहत समय पहले इटली के एक नगर जैनोवा में एन्टोनियो नाम का एक सौदागर रहता था। एक दिन एन्टोनियो ने अपना जहाज़ सामान से भर लिया और दूर-दराज़ के द्वीपों की यात्रा पर चल पड़ा. उसकी योजना उन मसालों को खरीदने की थी जिनकी उसके देश में बहत माँग थी।
वहाँ पहँच कर वह एक द्वीप से दूसरे द्वीप गया। उसने मखमल देकर दालचीनी, गुड़ियाँ देकर लौंग, चमड़े की पेटियाँ देकर जायफल खरीदा।
एक दृवीप पर वहॉं के राजा ने उसे भोज पर आमंत्रित कियां लेकिन जब वह दावत के लिए बैठा तो एन्टोनियो ने कई सेवकों को लाठियॉं पकड़े देखा। प्रतीत हो रहा था कि वचह सब किसी को मारने के लिए तैयार खड़े थे। ''कितनी आश्चर्य की बात है!'' वह सोचने लगा। ''यह पहरेदार क्या कर रहे हैं?''
जब भोजन परोसा गया तो एन्टोनियो को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया। व्यंजनों की सुगंध पाकर दर्जनों चूहे अचानक वहॉं पर आ गये। पहरेदार चूहों के पीछे यहॉं—वहॉं भागने लगे और लाठियों से मार कर उन्हें हटाने लगे।
एन्टोनियो स्तब्ध रह गया। ''महाराज'', उसने कहा ''कया इस द्वीप पर बिल्लियॉं नही हैं?'' राजा चकित हो गया। ''बिल्लियॉं? उनके बारे में हम ने कभी सुना नहीं। वह क्या होती हैं? ''बिल्लियॉं मुलायम बालों वाली छोटी पशु होती हैं औश्र शिकार करना उन्हें अच्छा लगता है,'' एन्टोनियो ने बताया। ''चूहों का पीछा करना उन्हें सबसे अधिक पसंद है। इस द्ववीप से वह आनन—फानन में चूहो का सफाया कर देंगी!''
''सच में?'' राजा ने पूछा। ''हमें कुछ बिल्लियॉं कहॉं मिलेगी? अगर हमारे लिए तुम कुछ बिलिलयॉं ला दो तो हम तुम्हें मुॅंह मॉंगा मूल्य देंगे! बस, बताओ कि मूल्य क्या है।'' ''बिल्लयों का मूल्य चुकाने की आवश्यकता नहीं है,'' एन्टोनियों ने कहा। ''हमारे जहाज पर बहुत बिल्लियॉं है। आपको कुछ बिल्लियॉं देकर मुझे प्रसन्नता होगी।''
एन्टोनियो चल दिया और शीघ्र ही एक धरीदार बिल्ली औश्र एक बड़ा बिल्ला लेकर लौट आया। जब उसने दोनों को खुला छोड़ दिया तो चूहे डर कर भोजन—कक्ष से भाग गए और बिल्लियॉं उनका पीछा करती रही।
''कितनी आश्चर्यजनक पशु है यह!'' राजा खुशी से चिल्लाया। ''धन्यवाद, मेरे मित्र अब बदले में मै तुम्हें कुद देना चाहता हूॅं।'' राजा ने एन्टोनियो को मूल्यवान रत्नों और चमकदार हीरों से भरा एक संदूक दिया। ''महाराज, इसकी कोई आवश्यकता नहीं है,'' एन्टोनियो ने विरोध करते हुए कहा। लेकिन राजा उसकी बात मानने को तैयार न था। ''एन्टोनियो, तुम ने हमें बहुमूल्य उपहार दिया है। औश्र इस द्वीप पर हमारे पास इतने मूल्यवान रत्न और जवाहिर है कि हमें समझ नहीं आता कि उनका क्या करें। इन उत्तम पशुओ के बदले में हमारी यह भेंट तुम कृप्या स्वीकार कर लो।''
एन्टोनियो अपने नगर जैनोवा लौट आया और अपनी यात्रा की कहानी सबको सुनाई. उसके सौभाग्य पर सब प्रसन्न थे, सिवाय ल्यइजी के जो नगर का सबसे धनी सौदागर था. जब उसने यह बात सनी तो उसे ईर्षा होने लगी. "दो निकम्मी बिल्लियों के बदले में उस दवीप के राजा ने इतने अनठे रत्न और जवाहिर एन्टोनियो को दे दिये,” ल्युइजी ने अपने आप से कहा. "अरे, ऐसा उपहार तो राजा को कोई गरीब किसान भी दे सकता था. कल्पना करो, ऐसी वस्त जो सत्य में मूल्यवान हो अगर मैं राजा को भेंट में , तो न जाने वह कैसा उपहार मुझे देगा.” और ल्युइजी ने अपने जहाज़ में उत्कृष्ट मर्तियाँ, उत्तम चित्र, और सबसे बढ़िया वस्त्र भर लिए. जब वह द्वीप पर पहुँचा तो उसने झूठ बोला. उसने राजा के पास संदेश भिजवाया कि वह एन्टोनियो का मित्र था. यह बात जान कर राजा ने ल्यइजी को रात्रि-भोज के लिए आमंत्रित किया.
जब ल्युइजी के लाये बहुमूल्य उपहार राजा ने देखे तो वह आश्चर्यचकित हो गया। '' तुम्हारी उदारता से मै बहुत प्रभावित हूॅं, ल्युइजी,'' राजा ने कहा। ''मुझे समझ नही आ रहा कि मैं अपना आभार कैसे व्यक्त करूॅं।''
राजा ने अपने मंत्रियों से बात की कुछ समय बाद ल्युइजी को शाही दरबार में बुलाया गया। ''तुम्हारे उपहार के विषय में हम ने बहुत चर्चा की है, ल्युइजी। यह बताने में मुझे प्रसन्नता हो रही है कि हम ने एक उत्तम उपहार चुन लिया है। वह सच में बहुमुल्य है।'' इतना कह कर राजा ने सेवकों को आदेश दिया कि उपहार ले आये।
ल्युइजी बड़ी कठनाई से अपनी उत्तेजना को दबा पाया। उसे विश्वास था कि जितने हीरे—जवाहारात एन्टोनियो को मिले थे उनसे बीस गुणा अधिक उसे अवश्य मिलेंगे। मखमल के कपड़े से ढका हुआ रेशम का एक गद्दा राजा ने ल्युइजी को भेंट किया। जब ल्युइजी में मखमल का कपड़ा उठाया तो वह अवाक हो गया। गद्दे पर एक रोयेंदार गेंद था। जब गेंद हिला तो ल्युइजी को समझ आया कि वह था....... बिल्ली का बच्चा।
''तुमहारे मित्र ने जो अनमोल बिल्लियॉं हमें दी थीं उन्होंने अभी—अभी बच्चे दिये है। क्योंकि तुम ने हमें इतने शानदार उपहार दिये हैं, इसलिए अपनी सबसे मूलयवान वस्तु हम तुम्हे उपहार स्वरूप देना चाहते है''।
ल्युइजी ने जब राजा के प्रफुल्लित चेहरे को देखा तो उसे अहसास हुआ कि राजा के लिए बिल्ली को छोटा बच्चा उन सारी बहुमुलय वस्तुओं से अधिक मूलयवान था जो उसने राजा को उपहार में दी थीं।
वह समझ गया कि मुस्करा कर, प्रसन्नता से राजा का उपहार स्वीकार करने का नाटक करना ही उचित होगा। और उसने वैसा ही किया।
और यद्यपि ल्युइजी धनवान बर कर घर न लौटा था, परंतु वह अधिक बुद्धिमान अवश्य हो गया था।
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