'इक्कीसवीं सदी एशिया की है' आज भारत की प्रगति देखकर इस कथन के चरितार्थ होने की धारण प्रबल होती जा रही है। अंतरिक्ष विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में भारत को विश्व में अच्छा सम्मान प्राप्त हो चुका है। पाँचवे दशक में भारत में दूरदर्शन की झलक भर पहुँची थी। आज घर—घर में, कमरे—कमरे में उसकी पैठ है। देश में कम्प्यूटर और इंटरनेट का संजाल फैला हुआ है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत ने चमत्कारिक उपलब्धि प्राप्त की है। यहाँ के प्रबंधन, आई.टी और तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञों की पूछ विदेशों में बढ़ी है। उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार हुआ है। भारत ने चिकित्सा, कृषि, व्यवसाय और व्यापार इत्यादि क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। भारत वैश्वीकरण और उदारीकरण का एक महत्वपर्ण अंग बन चुका है। अन्न के मामले में देश आत्मनिर्भर बन चुका है। नगरों और महानगरां का विस्तार हुआ है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। देश में चकाचौंध दिखयी देती है। भारत की नारियाँ भी कई कीर्तिमान स्थापित कर चुकी है।
गरीबी की समस्या से मुक्ति, शिक्षा पद्धति में मूलभूत परिवर्तन, औद्योगिक विकास, बेरोजगारी का अन्त आदि इक्कीसवीं सदी के भारत की प्रमुख चुनौतियाँ है। देश की जनसंख्या एक अरब को पार कर चुकी है। सभी लोगों का पेट भरना, पोषाहार देना, सबके स्वास्थ्य की रक्षा करना, सबके लिए स्वस्थकर आवास उपलब्ध कराना, सबको सुशिक्षित करना, सबके लिए रोजगार उपलब्ध कराना, गाँवों की दशा सुधारना, सड़कों को दुरूस्त करना, सिंचाई एवं पेयजल की उत्तम व्यवस्था करना, आर्थिक और सामाजिक समानता लाना, समाजिक न्याय को साकार करना, रूग्ण उद्योगो का उद्धार करना, देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाना तथा देश की सभी प्रकार के भ्रष्टाचार से मुक्त करना इत्यादि इक्कीसवीं सदी के भारत की कुछ प्रमुख चुनौतियाँ है।
सरकार इस दिशा में अनेकों योजनाएँ चला रही है। मुद्रा योजना, जन—धन योजना, कौशल विकास आदि के क्षरा स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। गरीब से गरी ब का भी अपना घर हो इस दिशा में सरकार आवास योजना चला रही है। स्वसस्थ्य एवं चिकित्सा — सुविधाओं के लिए 'आयुष्मान योजना' गरीबों के लिए एक बड़ी रहत देने वाली योजना है। सड़क, रेल, एयरपोर्ट, बन्दरगाह, स्मार्ट—सिटी आदि संरचनात्मक योजनाएँ भारत को विकसित देश की श्रेणी में लाने के लिए प्रयासरत है। आशा है इक्कीसवीं सदी का भारत इन सभी क्षेत्रों में सफल होगा।
समाज, सामाजिक संस्थाओं, स्वैच्छिक संस्थाओ, युवाओं, राजनीतिज्ञों, शिक्षाशास्त्रियों, शिक्षण संस्थाआं, बुद्धिजीवियां और जागरूक नागरिकों तथा सरकार का दायित्व बनता है कि वक सम्मिलित प्रयास से देश को प्रगति के शिखर तक ले जायें। देश के गौरव, संस्कृति और अस्मिता की रखा करें। इक्कीसवीं सदी के भारत को अधिक समृद्ध ओश्र खुशहाल बनाये।
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