कारण : (1) अक्टूबर 1958 ई. में पाकिस्तान में सैनिक शासक फील्ड मार्शल अय्यूब खाँ राष्ट्रपति बने। 1962 ई. में चीन के हाथों भारत की पराजय ने उन्हें प्रेरित किया कि कश्मीर की समस्या को बलपूर्वक हल किया जाए। सन् 1965 ई. के अप्रैल में पाकिस्तान ने गुजरात के कच्छ इलाके के रन में सैनिक हमला बोला। अगस्त-सितम्बर सन् 1965 ई. में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर हमला किया।
(2) सन् 1965 ई. में पाकिस्तान ने भारत पर हमले की योजना इस उद्देश्य से बनायी थी कि कश्मीर में बहुसंख्यक मुस्लिम जनसंख्या का समर्थन उनकी सेनाओं को प्राप्त होगा, परन्तु धारणा निर्मूल साबित हुई। पाकिस्तान युद्ध में पराजित हुआ।
परिणाम : कश्मीर के मोर्चे पर पाकिस्तानी सेना की बढ़त को रोकने के लिए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने पंजाब की सीमा की तरफ से जवाबी हमला करने का आदेश दिया। दोनों देशों की सेनाओं के बीच घनघोर लड़ाई हुई और भारत की सेना आगे बढ़ते हुए लाहौर के नजदीक पहुँच गयी।
पाकिस्तान की शर्मनाक हार हुई। संयुक्त राष्ट्रसंघ के हस्तक्षेप से इस लड़ाई का अंत हुआ। भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के जनरल अयूब खान के बीच 1966 ई. में ताशकंद-समझौता हुआ। सोवियत संघ ने इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभायी।
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