वचन एवं नारे नाम
इन्कलाब जिन्दाबाद भगत सिंह
दिल्ली चलो सुभाष चन्द्र बोस
करो या मरो महात्माॅं गाॅंधी
जय हिन्द सुभाष चंद्र बोस
पूर्ण स्वराज्य जवाहरलाल नेहरू
वेदों की ओर लौटो दयानन्द सरस्वती
आराम हराम है जवाहरलाल नेहरू
हे राम महात्मा गाॅंधी
भारत छोड़ो महात्मा गाॅंधी
जय जवान, जय किसान लाल बहादुर शस्त्री (1965 के पाकिस्तान युद्ध के समय)
मारो फिरंगी को मंगल पांडे
जय जगत विनोबा भावे
कर मत दो सरदार बल्लभ भाई पटेल
सम्पर्ण क्रांति जयप्रकाश नारायण
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा श्याम लाल गुप्ता पार्षद
वन्दे मातरम् बंकिमचन्द्र चटर्जी
जन-गण-मन अधिनायक जय हे रवीन्द्र नाथ ठाकुर
साम्राज्यवाद का नाश हो भगत सिंह
स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है बाल गंगाधर तिलक
सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है राम प्रसाद बिस्मिल
सारे जहाॅं से अच्छा हिन्दोस्ताॅं हमारा इकबाल
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूॅंगा सुभाषचन्द्र बोस
साइमन कमीशन वापस जाओ लाला लाजपत राय
हू लिव्स इफ इंडिया डाइज जवाहार लाल नेहरू
मेरे सिर पर लाठी का एक एक प्रहार, अंगेजी शासन के ताबूत की कील साबित होगा लाला लाजपत राय
मुसलमान मूर्ख थे, जो उन्होने सुरक्षा की माॅंग की और हिन्दू उनसे भी मूर्ख थे, जो उन्होंने उस माॅं को ठुकरा दिया। अबुल कलाम आजाद
क्रांति की तलवार में धार वैचारिक पत्थर पर रगड़ने से ही आती है भगत सिंह
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