अमरपुर, आरा
12 मई 2007
मेरे पूज्य पिताजी,
आपके सुंदर पत्र के लिए धन्यवाद। चह सही है कि मैं आपको अधिक पत्र नही लिखता हूॅं। मेरी वार्षिक परीक्षा नजदीक है। मै उसके लिए तैयारी कर रहा हूॅंं
मैंने अपनी सारी पुस्तकें पढ़ ली है। किंतु, मै संतुष्ट नही हूॅं। अब मै उन्हे दुहरा रहा हूॅं। मैने लिखित काम भी बहुत किया है। मै प्रतिदिन लगभग छह घंटे अध्ययन करता हूॅंं मुझे आशा हे कि मै वार्षिक परिक्षा मे अच्छा करूॅंगा।
लेकिन, कभी—कभी मै घबरा जाता हॅूं। मै सब कुछ भूल जाता हूॅं। कृपया मुझे आशीर्वाद दें।
आदर के साथ,
आपका प्यारा पुत्र,
विकाश
1 Comments
Nice thank you
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